Stories of Singhasan Battisi : सिंहासन बत्तीसी की कहानियाँ
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Stories of Singhasan Battisi : सिंहासन बत्तीसी की कहानियाँ
सिंहासन बत्तीसी (संस्कृत:सिंहासन द्वात्रिंशिका, विक्रमचरित) एक लोककथा संग्रह है। प्रजा से प्रेम करने वाले,न्याय प्रिय, जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य भारतीय लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उनके इन अद्भुत गुणों का बखान करती अनेक कथाएं हम बचपन से ही पढ़ते आए हैं। सिंह...
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सिंहासन बत्तीसी : बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती : Rani Roopvati
रानी रुपवती
बत्तीसवीं पुतली रानी रुपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भ...

सिंहासन बत्तीसी : इकत्तीसवीं पुतली कौशल्या : Kaushalya
कौशल्या
इकत्तीसवीं पुतली जिसका नाम कौशल्या था, ने अपनी कथा इस प्रकार कही- राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपने योगबल से उन्होंने यह भी जान...

सिंहासन बत्तीसी: तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी : Jaylakshmi
जयलक्ष्मी
तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य जितने बड़े राजा थे उतने ही बड़े तपस्वी। उन्होंने अपने तप से जान...

सिंहासन बत्तीसी: उन्तीसवीं पुतली मानवती : Maanvati
मानवती
उन्तीसवीं पुतली मानवती ने इस प्रकार कथा सुनाई- राजा विक्रमादित्य वेश बदलकर रात में घूमा करते थे। ऐसे ही एक दिन घूमते-घूमते नदी के किनारे...

सिंहासन बत्तीसी: अट्ठाईसवीं पुतली वैदेही : Vadehi
वैदेही
अट्ठाइसवीं पुतली का नाम वैदेही था और उसने अपनी कथा इस प्रकार कही- एक बार राजा विक्रमादित्य अपने शयन कक्ष में गहरी निद्रा में लीन थे। उन्...

सिंहासन बत्तीसी: सत्ताईसवीं पुतली मलयवती : Malaywati
मलयवती
मलयवती नाम की सताइसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- विक्रमादित्य बड़े यशस्वी और प्रतापी राजा था और राज-काज चलाने में उनका कोई म...

सिंहासन बत्तीसी : छ्ब्बीसवीं पुतली मृगनयनी : Mrignayni
मृगनयनी
मृगनयनी नामक छब्बीसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्या...

सिंहासन बत्तीसी: पच्चीसवीं पुतली त्रिनेत्री : Trinetri
त्रिनेत्री
त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी वेश बदलकर घ...

सिंहासन बत्तीसी: तेईसवीं पुतली धर्मवती : Dharmvati Prabhavati
धर्मवती
तेइसवीं पुतली जिसका नाम धर्मवती था, ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे।...

सिंहासन बत्तीसी: बाईसवीं पुतली अनुरोधवती : Anurodhvati
अनुरोधवती
अनुरोधवती नामक बाइसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत गुणग्राही थे। वे सच्चे कलाकारों का बहुत अधिक स...

सिंहासन बत्तीसी: इक्कीसवीं पुतली चंद्र्ज्योति : Chandrjyoti
चन्द्रज्योति
चन्द्रज्योति नामक इक्कीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है- एक बार विक्रमादित्य एक यज्ञ करने की तैयारी कर रहे थे। वे उस यज्ञ में चन्द्र...

सिंहासन बत्तीसी: बीसवीं पुतली ज्ञानवती : Gyanvati
ज्ञानवती
बीसवीं पुतली ज्ञानवती ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा ज्ञानियों की बहुत कद्र क...

सिंहासन बत्तीसी: उन्नीसवीं पुतली रूपरेखा : Rooprekha
रुपरेखा
रुपरेखा नामक उन्नीसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है-
राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएँ लेकर न्याय के लिए...

सिंहासन बत्तीसी: अट्ठारहवीं पुतली तारामती : Taramati
तारावती
अठारहवीं पुतली तारामती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथा कलाकारों को बहुत सम्...

सिंहासन बत्तीसी: सत्रहवीं पुतली विद्यावती : Vidyavati
विद्यावती
विद्यावती नामक सत्रहवीं पुतली ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी लोग संतुष्ट तथा प...

सिंहासन बत्तीसी: सोलहवीं पुतली सत्यवती : Satyavati
सत्यवती
सोलहवीं पुतली सत्यवती ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। एक से बढ...

सिंहासन बत्तीसी: पंद्रहवीं पुतली सुन्दरबती : Sunderbati
सुन्दरवती
पन्द्रहवीं पुतली की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। व्यापारियों का व्या...

सिंहासन बत्तीसी: चौदहवीं पुतली सुनयना : Sunyana
सुनयना
चौदहवीं पुतली सुनयना ने जो कथा की वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी औ...

सिंहासन बत्तीसी: तेरहवीं पुतली कीर्तिमती : Kirtimati
कीर्तिमती
तेरहवीं पुतली कीर्तिमती ने इस प्रकार कथा कही-
एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य व...

सिंहासन बत्तीसी: बारहवीं पुतली पद्मावती Singhasan Batteesi : Barahveen Putli Padmavati
पद्मावती
बारहवीं पुतली पद्मावती ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- एक दिन रात के समय राजा विक्रमादित्य महल की छत पर बैठे थे। मौसम बहुत सुहाना था।...

सिंहासन बत्तीसी: ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचनी : Trilochani
त्रिलोचनी
ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचनी जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य बहुत बड़े प्रजापालक थे। उन्हें हमेंशा अपनी प्रजा की सुख-समृद्ध...

सिंहासन बत्तीसी: दसवीं पुतली प्रभावती : Prabhavati
प्रभावती
दसवीं पुतली प्रभावती ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- एक बार राजा विक्रमादित्य शिकार खेलते-खेलते अपने सैनिकों की टोली से काफी आगे निकल...

सिंहासन बत्तीसी: नवीं पुतली मधुमालती : Madhumalti
मधुमालती
नवीं पुतली मधुमालती ने जो कथा सुनाई उससे विक्रमादित्य की प्रजा के हित में प्राणोत्सर्ग करने की भावना झलकती है। कथा इस प्रकार है- एक बा...

सिंहासन बत्तीसी: आठवीं पुतली पुष्पवती : Pushpvati
पुष्पवती
आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। उन्हें श्रेष्ठ कलाकृतियों से अपने महल को सजाने का शौक...

सिंहासन बत्तीसी: सातवीं पुतली कौमुदी : Kaumudi
कौमुदी
सातवीं पुतली कौमुदी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने शयन-कक्ष में सो रहे थे। अचानक उनकी नींद करुण-क्रन्दन सु...

सिंहासन बत्तीसी: छठी पुतली रविभामा : Ravibhama
रविभामा
छठी पुतली रविभामा ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है-
एक दिन विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर...

सिंहासन बत्तीसी: पाँचवी पुतली लीलावती : Leelavati
लीलावती
पाँचवीं पुतली लीलावती ने भी राजा भोज को विक्रमादित्य के बारे में जो कुछ सुनाया उससे उनकी दानवीरता ही झलकती थी। कथा इस प्रकार थी-
...

सिंहासन बत्तीसी: चौथी पुतली कामकंदला : Kamkandla
कामकंदला
चौथी पुतली कामकंदला की कथा से भी विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना का पता चलता है। वह इस प्रकार है-
एक दिन रा...

सिंहासन बत्तीसी: तीसरी पुतली चंद्रलेखा : Chandralekha
चन्द्रकला
तीसरी पुतली चन्द्रकला ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है। पुरुषार्थ कहता कि...

सिंहासन बत्तीसी: दूसरी पुतली चित्रलेखा : Chitrlekha
चित्रलेखा
दूसरी पुतली चित्रलेखा की कथा इस प्रकार है- एक दिन राजा विक्रमादित्य शिकार खेलते-खेलते एक ऊँचे पहाड़ पर आए। वहाँ उन्होंने देखा एक साधु...

सिंहासन बत्तीसी: पहली पुतली रत्नमञ्जरी : Ratnmanjri
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सिंहासन बत्तीसी : क्यों, कहाँ, कैसे Sinhasan Battisi kyon, kya, kaise
प्रजावत्सल, जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य भारतीय लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। प्राचीनकाल से ही उनके गुणों पर प्...